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Saturday, March 26, 2016

२०४७ पछिका मन्त्रिपरिषद्

६ वैशाख २०४७
प्रधानमन्त्री : कृष्णप्रसाद भट्टराई

मन्त्री : 
साहाना प्रधान
झलनाथ खनाल
केशरजंग रायमाझी
अच्युतराज रेग्मी
महेन्द्रनारायण निधि
योगप्रसाद उपाध्याय
मार्शलजुलुम शाक्य
नीलाम्बर आचार्य
देवेन्द्रराज पाण्डे
मथुराप्रसाद श्रेष्ठ
० ० ०
१५ जेठ २०४८
प्रधानमन्त्री : गिरिजाप्रसाद कोइराला

मन्त्री : 
वासुदेव रिसाल
ढुण्डीराज शास्त्री
चिरञ्जीवी वाग्ले
तारानाथ रानाभाट
खुमबहादुर खड्का
गोपालमान श्रेष्ठ
बलबहादुर राई
जगन्नाथ आचार्य
रामहरि जोशी
शैलजा आचार्य
शेरबहादुर देउवा
रामचन्द्र पौडेल
महेश्वरप्रसाद सिंह
गोविन्दराज जोशी
शेख इद्रिश

राज्यमन्त्री : 
डा. रामवरण यादव
महेश आचार्य
ऐश्वर्यलाल प्रधानांग
रामकृष्ण ताम्राकार
वीरमणि ढकाल
विजयकुमार गच्छदार
लक्ष्मणप्रसाद घिमिरे

सहायकमन्त्री :
सिद्धराज ओझा
दीनबन्धु अर्याल
शिवराज जोशी
सुरेन्द्रप्रसाद चौधरी
हस्तबहादुर मल्ल
दिलेन्द्रप्रसाद बडु
दिवाकरमान शेरचन
० ० ०
१४ मंसिर २०५१
प्रधानमन्त्री : मनमोहन अधिकारी

उपप्रधानमन्त्री : माधवकुमार नेपाल

मन्त्री : 
केपी शर्मा ओली
सिपी मैनाली
भरतमोहन अधिकारी
राधाकृष्ण मैनाली
मोदनाथ प्रश्रित
प्रदीप नेपाल
पद्मरत्न तुलाधर

राज्यमन्त्री : 
अशोक राई
सलिममियाँ अन्सारी
प्रेमसिंह धामी
सुवासचन्द्र नेम्वाङ
भीमबहादुर रावल
हरिप्रसाद पाण्डेय
० ० ०
२७ भदौ २०५२
प्रधानमन्त्री : शेरबहादुर देउवा

मन्त्री : 
बलबहादुर राई
शेख इद्रिश
ढुण्डीराज शास्त्री
चिरञ्जीवी वाग्ले
खुमबहादुर खड्का
गोविन्दराज जोशी
चक्रप्रसाद बास्तोला
डा. रामशरण महत
विजयकुमार गच्छदार
अर्जुननरसिंह केसी
भीमबहादुर तामाङ
लीला कोइराला
बलबहादुर केसी
विमलेन्द्र निधि
प्रकाशमान सिंह
नरहरि आचार्य
रामकृष्ण आचार्य
शरत्सिंह भण्डारी
पशुपतिशम्शेर जबरा
डा प्रकाशचन्द्र लोहनी
बालाराम घर्ती मगर
बुद्धिमान तामाङ
फत्तेसिंह थारु
कमल थापा
गजेन्द्रनारायण सिंह
मोतीप्रसाद पहाडी
पद्मसुन्दर लावती

राज्यमन्त्री : 
शान्तिशम्शेर राणा
प्रेमबहादुर भण्डारी
महेन्द्र राय
राजीव पराजुली
चीनकाजी श्रेष्ठ
गोपालजीजंग शाह
हस्तबहादुर मल्ल
दीपक बास्कोटा
छविप्रसाद देवकोटा
पाल्तेन गुरुङ
अनिश अन्सारी
विष्णुविक्रम थापा
भक्तबहादुर रोकाय
शरत्सिंह भण्डारी
सर्वेन्द्रनाथ शुक्ल
खोभारी राय

सहायकमन्त्री : 
गणेशबहादुर खड्का
दुर्याेधन चौधरी
रामचन्द्र कुशवाह
सुरेशचन्द्रदास यादव
मीनबहादुर खत्री
मिर्जा दिलसाद वेग
ज्योतेन्द्रमोहन चौधरी
नरेशबहादुर सिंह
० ० ०
२९ फागुन २०५३
प्रधानमन्त्री : लोकेन्द्रबहादुर चन्द

उपप्रधानमन्त्री : वामदेव गौतम

मन्त्री : 
सहाना प्रधान
झलनाथ खनाल
अमृत बोहोरा
भरतमोहन अधिकारी
राधाकृष्ण मैनाली
सिद्धिलाल सिंह
मुकुन्द न्यौपाने
अशोक राई
केशवप्रसाद बाडाल
विष्णुप्रसाद पौडेल
सलिममियाँ अन्सारी
भीमबहादुर कठायात
देवीप्रसाद ओझा
विद्यादेवी भण्डारी
रवीन्द्रनाथ शर्मा
प्रकाशचन्द्र लोहनी
कमल थापा
बुद्धिमान तामाङ
प्रेमबहादुर सिंह
रामकृष्ण आचार्य
गजेन्द्रनारायण सिंह
रामेश्वर राय
सर्वेन्दनाथ शुक्ल
बालाराम घर्ती मगर
डा. भरतकुमार प्रधान
रामेश्वर राय यादव
मिर्जा दिलसाद
मोती पहाडी

राज्यमन्त्री : 
रकम चेम्जोङ
तुलबहादुर गुरुङ
भोजराज जोशी
प्रेमबहादुर भण्डारी
राजीव पराजुली
महेन्द्र राय यादव
खोभारी राय
महेश चौधरी
पाल्तेन गुरुङ
नरेशबहादुर सिंह
ज्योतेन्द्रमान चौधरी
० ० ०
२१ साउन २०५४
प्रधानमन्त्री : सूर्यबहादुर थापा

मन्त्री :
खुमबहादुर खड्का
विजय गच्छदार
प्रकाशमान सिंह
महन्थ ठाकुर
सिद्धराज ओझा
केबी गुरुङ
विपिन कोइराला
रवीन्द्रनाथ शर्मा
बालाराम घर्ती मगर
पशुपतिशम्शेर
प्रकाशचन्द्र लोहनी
फत्तेसिंह थारु
कमल थापा
बुद्धिमान तामाङ
रामकृष्ण आचार्य
सर्वेन्द्रनाथ शुक्ल
प्रेमबहादुर भण्डारी
राजीव पराजुली
रामविलास यादव
शान्तिशम्शेर राणा
महेन्द्र राय
मिर्जा दिलसाद वेग
शरत्सिंह भण्डारी
मोती पहाडी
पाल्तेन गुरुङ
नरेशबहादुर सिंह
गजेन्द्रनारायण सिंह
हृदयेश त्रिपाठी

राज्यमन्त्री : 
शिवराज सुवेदी
मीना पाण्डे
रेवतीप्रसाद भुसाल
मीना लामा
राजेन्द्रबहादुर शाह
महेन्द्र यादव
कमलेशकुमार शर्मा
रामबहादुर गुरुङ
राजकिशोर सिंह
जयप्रकाश गुप्ता
रामजनम चौधरी
सुरेन्द्र हमाल
मोहमद अफ्ताव आलम
सुशीलमान शेरचन
केशवबहादुर चन्द
विष्णुविक्रम थापा
भक्तबहादुर रोकाय
मिर्जा दिलसाद वेग
नरेशबहादुर सिंह
पद्मनारायण चौधरी

सहायकमन्त्री : 
रामजनम चौधरी
सुरेन्द्र हमाल
मोहमद अफ्ताव आलम
सुशीलमान शेरचन
केशवबहादुर चन्द
० ० ०
२ वैशाख २०५५
प्रधानमन्त्री : गिरिजाप्रसाद कोइराला

उपप्रधानमन्त्री : शैलजा आचार्य

मन्त्री : भरतमोहन अधिकारी
गजेन्द्रनारायण सिंह
रमेशनाथ पाण्डे
गोविन्दराज जोशी
अमृतकुमार बोहोरा
प्रदीप नेपाल
भीमबहादुर रावल
केबी गुरुङ
पूर्णबहादुर खड्का
जयप्रकाश गुप्ता
डा. रामशरण महत
चक्रप्रसाद बास्तोला
प्रकाशमान सिंह
चिरञ्जीवी वाग्ले
खुमबहादुर खड्का
विजय गच्छदार
अर्जुननरसिंह केसी
विमलेन्द्र निधि
केबी गुरुङ
ओमकार श्रेष्ठ
आनन्दप्रसाद ढुङ्गाना
राधाकृष्ण मैनाली
सीतानन्द राय
त्रिलोचन ढकाल
महन्थ ठाकुर
सिद्धराज ओझा
केशवलाल श्रेष्ठ
राजेन्द्रप्रसाद श्रेष्ठ
यामलाल कँडेल
हेमराज राई
अम्बिका सावाँ

राज्यमन्त्री : मीना पाण्डे
भक्तबहादुर रोकाय
रामबहादुर गुरुङ
दीपकुमार उपाध्याय
देवेन्द्रराज कँडेल
राजदेव गोटि
भक्तबहादुर बलायर
रामचन्द्र अधिकारी
देवबहादुर पौडेल क्षत्री
गोविन्दनाथ उप्रेती
जगतबहादुर बोगटी
अमरराज कैनी

सहायक मन्त्री : 
कमला पन्त
रामजनम चौधरी
यज्ञराज न्यौपाने
झलकनाथ वाग्ले
लक्ष्मीनाराण चौधरी
मोहमद अफ्ताव आलम
० ० ०
१७ जेठ २०५६
प्रधानमन्त्री : कृष्णप्रसाद भट्टराई

उपप्रधानमन्त्री : रामचन्द्र पौडेल

मन्त्री :
योगप्रसाद उपाध्याय
तारानाथ रानाभाट
चिरञ्जीवी वाग्ले
खुमबहादुर खड्का
गोविन्दराज जोशी
चक्रप्रसाद बास्तोला
विजय गच्छदार
बलबहादुर केसी
प्रकाशमान सिंह
शरतसिंह भण्डारी
महन्थ ठाकुर
पूर्णबहादुर खड्का
डा. रामवरण यादव
महेश आचार्य
डा. रामशरण महत
सिद्धराज ओझा
ओमकारप्रसाद श्रेष्ठ
रामकृष्ण ताम्राकार
तारिणीदत्त चटौत

राज्यमन्त्री : 
सुरेन्द्रप्रसाद चौधरी
रामबहादुर गुरुङ
भक्तबहादुर बलायर
मोहमद अफ्ताफ आलम
कमला पन्त
राजेन्द्र खरेल
डा. गंगाधर लम्साल
गोविन्दबहादुर शाह

सहायकमन्त्री :
सुरेन्द्र हमाल
अर्जुनजंगबहादुर सिंह
नरेन्द्रविक्रम नेम्वाङ
सर्वधन राई
नारायणसिंह पुन
० ० ०
८ चैत्त २०५६
प्रधानमन्त्री : गिरिजाप्रसाद कोइराला

उपप्रधानमन्त्री : रामचन्द्र पौडेल

मन्त्री : 
खुमबहादुर खड्का
गोविन्दराज जोशी
चक्रप्रसाद बास्तोला
डा. रामशरण महत
महन्थ ठाकुर
जयप्रकाश गुप्ता
सिद्धराज ओझा
ओमकार श्रेष्ठ
डा. रामवरण यादव
पाल्तेन गुरुङ
महेश आचार्य
रामकृष्ण ताम्राकार
तारिणीदत्त चटौत
आमोदप्रसाद उपाध्याय
सुरेन्द्रप्रसाद चौधरी
वलदेव शर्मा मजगैयाँ
शिवराज जोशी
प्रकाश कोइराला

राज्यमन्त्री :
मोहम्मद आफ्ताब आलम
रामबहादुर गुरुङ
दिलेन्द्र बडु
कमला पन्त
नरेन्द्रविक्रम नेम्वाङ
सुरेन्द्र हमाल
गोपाल राई
सुरेश मल्ल
तीर्थराम डंगोल
कृष्ण सिटौला
हरिप्रसाद सापकोटा
बेनुपराज प्रसाईं
शिवकुमार बस्नेत
महादेव गुरुङ
पुष्कर ओझा

सहायकमन्त्री :
रोमी गौचन
महेन्द्रकुरमार राय
जनकराज गिरी
केशरमान रोका
रामहरि ढुङ्गेल
० ० ०
११ साउन २०५८
प्रधानमन्त्री : शेरबहादुर देउवा

मन्त्री : 
चिरञ्जीवी वाग्ले
खुमबहादुर खड्का
गोपालमान श्रेष्ठ
डा. रामशरण महत
विजय गच्छदार
बलबहादुर केसी
शरत्सिंह भण्डारी
पाल्तेन गुरुङ
पूर्णबहादुर खड्का
जयप्रकाश गुप्ता
महेश आचार्य
आमोद उपाध्याय
प्रेमलाल सिंह
ऋषिकेश गौतम
राजेन्द्र खरेल
खेमराज भट्ट मायालु
नरेन्द्रविक्रम नेम्वाङ

राज्यमन्त्री :
भक्तबहादुर बलायर
रामजनम चौधरी
देवेन्द्रराज कँडेल
दुर्योधन सिंह
सुरेन्द्र हमाल
शिवराज जोशी
नारायण शर्मा पौड्याल
अर्जुनजंगबहादुर सिंह
लक्ष्मणप्रसाद मेहता
सुशीला स्वाँर
हरिनारायण चौधरी
एनपी साउद
केशव थापा
सर्वधन राई
मोहनबहादुर बस्नेत
भरतकुमार शाह

सहायकमन्त्री : 
प्रकाशबहादुृर गुरुङ
डिल्लीराज शर्मा
नगेन्द्रकुमार राय
सावित्री बोगटी
दिलबहादुर लामा
वीरेन्द्रकुमार कन्दङ्वा
अजयकुमार चौरसिया
० ० ०
२५ असोज २०५९
प्रधानमन्त्री : लोकेन्द्रबहादुर चन्द
उपप्रधानमन्त्री : बद्रीप्रसाद मण्डल
मन्त्री : नरेन्द्रविक्रम शाह, रमेशनाथ पाण्डे, देवीप्रसाद ओझा, डा. बद्रीप्रसाद श्रेष्ठ, धर्मबहादुर थापा, गोरेबहादुर खपाङ्गी, डा. उपेन्द्र देवकोटा, नारायणसिंह पुन, बद्रीनारायण बस्नेत, कमलप्रसाद चौलागार्इं, कुबेरप्रसाद शर्मा, महेशलाल प्रधान, दीपक ज्ञवाली
सहायकमन्त्री : गोपाल दहित, अनुराधा कोइराला, रविभक्त श्रेष्ठ, जगतबहादुर गुरुङ, रवीन्द्र खनाल, डा. असर्फी शाह, प्रकाश चित्रकार परियार
० ० ०
२१ जेठ २०६०
प्रधानमन्त्री : सूर्यबहादुर थापा
मन्त्री : प्रकाशचन्द्र लोहनी, कमल थापा, हरिबहादुर बस्नेत, बुद्धिमान गुरुङ, सर्वेन्द्रनाथ शुक्ल
राज्यमन्त्री : रेणुकुमारी यादव
० ० ०
२० जेठ २०६१
प्रधानमन्त्री : शेरबहादुर देउवा
उपप्रधानमन्त्री : भरतमोहन अधिकारी
मन्त्री : विमलेन्द्र निधि, प्रकाशमान सिंह, पूर्णबहादुर खड्का, दीपकुमार उपाध्याय, मोहम्मद मोहसिन, बद्रीप्रसाद मण्डल, बालाराम घर्तीमगर, जोगमेहर श्रेष्ठ, होमनाथ दाहाल, टेकबहादुर चोख्याल, कृष्णलाल थकाली, अशोक राई, ईश्वर पोखरेल, युवराज ज्ञवाली, रघुजी पन्त, वाचस्पति देवकोटा, अष्टलक्ष्मी शाक्य
राज्यमन्त्री : ठाकुरप्रसाद शर्मा, डा प्रकाशशरण महत, कृष्णगोपाल श्रेष्ठ, बालकृष्ण खाण, उर्वादत्त पन्त, वंशीधर मिश्र, प्रतिभा राणा, रामचन्द्र राय
सहायकमन्त्री : उमाकान्त चौधरी, लालबहादुर विश्वकर्मा, हरिशंकर परियार, भीमकुमारी बुढामगर
० ० ०
२० माघ २०६१
तत्कालीन राजा ज्ञानेन्द्रको अध्यक्षतामा गठन भएको मन्त्रिपरिषद्
उपाध्यक्ष : डा. तुल्सी गिरी र कीर्तिनिधि विष्ट
मन्त्री : रमेशनाथ पाण्डे, राधाकृष्ण मैनाली, कृष्णलाल थकाली, बुद्धिराज वज्राचार्य, दुर्गा श्रेष्ठ, टंक ढकाल, दानबहादुर शाही, खड्गबहादुर जिसी, रामनारायण सिंह, बद्री मण्डल, सलिममियाँ अन्सारी, प्रकाश कोइराला, मधुकरशम्शेर जबरा, निरञ्जन थापा, केशरबहादुर विष्ट, कमल थापा, बुद्धिमान तामाङ, नारायणसिंह पुन
राज्यमन्त्री : डा. रुप ज्योति, याङ्किला शेर्पा, बृजेशकुमार गुप्ता, डा. दुर्गा पोखरेल, डा. रवीन्द्र खनाल, मीना लामा, श्रीषशम्शेर राणा
सहायकमन्त्री : छक्कबहादुर लामा, गोल्चे सार्की, जगत गौचन, निक्षशम्शेर जबरा, सिनेट श्रेष्ठ, हरिशंकर परियार, विनोदकुमार शाह, गोविन्द चौधरी, योगेशबहादुर बुढाथोकी, तोरणबहादुर गुरुङ, रोशन कार्की, भुवन पाठक, राजेशकाजी श्रेष्ठ, टेकनारायण राजवंशी, प्रतापराम लोहार, सोनीलाल यादव
० ० ०
१३ वैशाख २०६३
प्रधानमन्त्री : गिरिजाप्रसाद कोइराला
उपप्रधानमन्त्री : अमिक शेरचन, केपी ओली
मन्त्री : गोपालमान श्रेष्ठ, डा. रामशरण महत, महन्थ ठाकुर, हृदयेश त्रिपाठी, नरेन्द्रविक्रम नेम्वाङ, राजेन्द्रप्रसाद पाण्डे, प्रदीपकुमार ज्ञवाली, कृष्ण सिटौला, प्रभुनारायण चौधरी
राज्यमन्त्री : गोपाल राई, दिलेन्द्र बडु, रमेश लेखक, ज्ञानेन्द्रबहादुर कार्की, उर्मिला अर्याल, मानबहादुर विश्वकर्मा, धर्मनाथप्रसाद साह
० ० ०
१८ चैत २०६३
प्रधानमन्त्री : गिरिजाप्रसाद कोइराला
मन्त्री : रामचन्द्र पौडेल, सहाना प्रधान, प्रदीप नेपाल, महन्थ ठाकुर, सुजाता कोइराला, डा. रामशरण महत, नरेन्द्रविक्रम नेम्वाङ, कृष्ण सिटौला, गिरिराजमणि पोखरेल, कृष्णबहादुर महरा, देव गुरुङ, रमेश लेखक, ज्ञानेन्द्रबहादुर कार्की, पृथ्वी सुब्बा गुरुङ, छविलाल विश्वकर्मा, जगतबहादुर बोगटी, मातृकाप्रसाद यादव, हिसिला यमी, खड्गबहादुर विश्वकर्मा, राजेन्द्र महतो, श्यामसुन्दर गुप्ता, रामचन्द्र यादव
राज्यमन्त्री : महालक्ष्मी उपाध्याय ‘डिना’, इन्द्रबहादुर गुरुङ, शशी श्रेष्ठ, रामचन्द्र यादव, मोहनसिंह राठौर, सुरेन्द्र चौधरी
० ० ०
२ भदौ २०६५
प्रधानमन्त्री : पुष्पकमल दाहाल
उपप्रधानमन्त्री : वामदेव गौतम
मन्त्री : बाबुराम भट्टराई, रामबहादुर थापा, कृष्णबहादुर महरा, देव गुरुङ, मातृका यादव, पम्फा भुसाल, हिसिला यमी, जनार्दन शर्मा, गोपाल किराँती, महेन्द्र पासवान, रामचन्द्र चौधरी थारु, गिरिराजमणि पोखरेल, गणेश साह, विष्णु पौडेल, अष्टलक्ष्मी शाक्य, गोपाल शाक्य, किरण गुरुङ, रामचन्द्र झा, उपेन्द्र यादव, विजय गच्छदार, जयप्रकाश गुप्ता, रेणु यादव, राजेन्द्र महतो
० ० ०
११ जेठ २०६६
प्रधानमन्त्री : माधवकुमार नेपाल
उपप्रधानमन्त्री : विजय गच्छदार, सुजाता कोइराला
मन्त्री : विद्या भण्डारी, शरत्सिंह भण्डारी, भीम रावल, राजेन्द्र महतो, सुरेन्द्र पाण्डे, प्रेमबहादुर सिंह, डा. प्रकाशशरण महत, बालकृष्ण खाण, शंकर पोखरेल, डा.मीनेन्द्रप्रसाद रिजाल, रकम चेम्जोङ, पूर्णकुमार शेर्मा, उमाकान्त चौधरी, मोहम्मद आफ्ताब आलम, प्रभाकर प्रधानाङ्ग (रवीन्द्र श्रेष्ठ), डम्बर श्रेष्ठ, रामचन्द्र कुशवाह, दीपक बोहरा, महेन्द्रप्रसाद यादव, मृगेन्द्रकुमार सिंह, गणेश तिवारी नेपाली, ठाकुरप्रसाद शर्मा, लक्ष्मणलाल कर्ण, सर्वदेवप्रसाद ओझा, राजेन्द्र महतो
राज्यमन्त्री : गणेशबहादुर खड्का, डिल्लीबहादुर महत, जितबहादुर दर्जी गौतम, चन्द्रसिंह भट्टराई, मोुहम्मद रिजवान, खड्गबहादुर बस्याल सार्की, दानबहादुर कुर्मी चौधरी, मानबहादुर शाही, इन्द्रप्रसाद ढुङ्गेल, सञ्जयकुमार साह, रामबच्चन अहिर यादव, करिमा वेगम, शत्रुघ्नप्रसादसिंह कोइरी, सरोजकुमार यादव, गोविन्द चौधरी
सहायकमन्त्री : कलावतीदेवी दुसाध, चन्दा चौधरी
० ० ०
२० माघ २०६७
प्रधानमन्त्री : झलनाथ खनाल

उपप्रधानमन्त्री :
भरतमोहन अधिकारी
कृष्णबहादुर महरा
उपेन्द्र यादव
नारायणकाजी श्रेष्ठ

मन्त्री : 
विष्णु पौडेल
टोपबहादुर रायमाझी
अग्निप्रसाद सापकोटा
कृष्णबहादुर महरा
वर्षमान पुन
शक्तिबहादुर बस्नेत
खड्गबहादुर विश्वकर्मा
उर्मिला अर्याल
गङ्गालाल तुलाधर
रघुवीर महासेठ
गोकर्ण विष्ट
भानुभक्त जोशी
घनश्याम भुसाल
युवराज कार्की
विश्वनाथ साह
जयपुरी घर्ती
रामचरण चौधरी
महेन्द्र पासवान
प्रभु साह
हितबहादुर तामाङ
हरिनारायण यादव
मोहम्मद इस्तियाक राई
सुनिलकुमार मानन्धर
खगेन्द्रप्रसाद प्रसाईं

राज्यमन्त्री : 
शत्रुघ्न महतो
दलबहादुर सुनार
रामजी शर्मा
डम्बर साम्बाहाम्फे
भगवती चौधरी
हकिकुल्लाह खाँ
देवी खड्का
धर्मशिला चापागाईं
धु्रव आङ्दम्बे लिम्बू
नन्दनकुमार दत्त
(प्रधानमन्त्री खनालले २०६७ चैत २८ गते नियुक्त शिक्षा राज्यमन्त्री राधा ज्ञवालीलाई २०६८ वैशाख वैशाख ६ गते पदमुक्त गरेका। त्यस्तै, २०६८ वैशाख ८ गते अर्थ राज्यमन्त्री ल्हारक्याल लामाले राजीनामा दिएका)
० ० ०
१२ भदौ २०६८
प्रधानमन्त्री : बाबुराम भट्टराई

उपप्रधानमन्त्री :
विजय गच्छदार
नारायणकाजी श्रेष्ठ

मन्त्री : 
हृदयेश त्रिपाठी
पोष्टबहादुर बोगटी
टोपबहादुर रायमाझी
राजेन्द्र महतो
महेन्द्रप्रसाद यादव
वर्षमान पुन
दीनानाथ शर्मा
लोकेन्द्र विष्ट मगर
गोपाल किराँती
लेखराज भट्ट
भीमप्रसाद गौतम
रामकुमार यादव
अनिलकुमार झा
वृजेशकुमार गुप्ता
हेमराज तातेड
कमला रोका
राजकिशोर यादव
जयप्रकाश गुप्ता
राजलाल यादव
सरिता गिरी
मुहमद वकिल मुसलमान
दानबहादुर चौधरी
कल्पना धमला
सत्य पहाडी
मालवरसिंह थापा
अकबबल अहमद साह

राष्ट्रिय सहमतिका नाममा सरकार गठन गर्ने नाममा पुराना मन्त्री हटाउँदै प्रधानमन्त्रीले थप गरेका नयाँ मन्त्रीः

उपप्रधानमन्त्री :
विजय गच्छदार
नारायणकाजी श्रेष्ठ
कृष्ण सिटौला
ईश्वर पोखरेल

मन्त्री : 
वर्षमान पुन
दीनानाथ शर्मा
राधा ज्ञवाली
सूर्यमान गुरुङ
राजकिशोर यादव
राजेन्द्र महतो
टोपबहादुर रायमाझी
पोष्टबहादुर बोगटी
एकराज भण्डारी
परशुराम खापुङ
चन्द्रदेव जोशी
डा. केशवमान शाक्य
कुमार बेलबासे
यदुवंश झा
बद्री न्यौपाने

राज्यमन्त्री : 
खोभारी राय
रामवच्चन अहिर
दिलीप प्रजापति
सूर्यमान दोङ
लीला भण्डारी
गोपी अछामी
घनश्याम यादव
ज्वाला साह
सुषमा शर्मा
हरिराज लिम्बू
सुरिताकुमारी महतो
भीम राजवंशी
लक्ष्मण महतो
दुर्गादेवी महतो
काशीदेवी झा
ईश्वरदयाल मिश्र
अरविन्द साह
ओमप्रकाश यादव
० ० ०
१  चैत्र २०६९
मन्त्रिपरिषद् अध्यक्ष :  खिलराज रेग्मी

मन्त्री:
माधवप्रसाद घिमिरे
हरिप्रसाद न्यौपाने
ऋद्धिबाबा प्रधान
विद्याधर मल्लिक
माधवप्रसाद पौडेल
शंकरप्रसाद कोइराला
छविराज पन्त
टेकबहादुर थापा (घर्ती)
रामकुमार श्रेष्ठ
उमाकान्त झा
० ० ०
२७ माघ २०७०
प्रधानमन्त्री: सुशील कोइराला

उप प्रधानमन्त्री: बामदेव गौतम, प्रकाशमान सिंह

मन्त्री: 
डा. रामशरण महत
विमलेन्द्र निधि
नरहरि आचार्य
महेश आचार्य
चित्रलेखा यादव
मीनेन्द्र रिजाल
राधाकुमारी ज्ञवाली
नारायणप्रकास साउद
नारायण खड्का
महेन्द्रबहादुर पाण्डे
खगराज अधिकारी
लालबाबु पण्डित
दलबहादुर राना
पुरुषोत्तम पौडेल
सुनिल बहादुर थापा
नीलम के.सी.(खड्का)
कृपासुर शेर्पा
महेश वस्नेत

राज्यमन्त्री: 
टेक बहादुर गुरुङ
गिरीबहादुर के.सी.

(यसैबीच, संस्कृति, पर्यटन तथा नागरिक उड्ययन मन्त्री भीमप्रसाद आचार्य र उद्योग मन्त्री कर्णबहादुर थापालाई हटाउँदै दिपकचन्द्र अमात्य र महेश बस्नेतलाई नियुक्त गरिएको थियो।

फेरि, २०७२ जेठ ८ मा दीपकचन्द्र अमात्यलाई हटाउँदै कृपासुर शेर्पालाई मन्त्री बनाइएको थियो।

फेरि, २०७२ जेठ १६ गते एमालेकै मन्त्री हरिप्रसाद पराजुलीलेले राजीनामा दिएका थिए। जेठ १५ गते एउटा रोपाइँ कार्यक्रममा महिलामाथि अभद्र व्यवहार गरेको आरोप लागेपछि पराजुलीले राजिनामा दिएका थिए।)
० ० ०
२५ असोज २०७२ 
(मन्त्रिपरिषद् गठनः २०७२/६/२५, ७/१, ७/१९, ७/२३ , ९/९, २०७३/०१/०५ )
प्रधानमन्त्रीः श्री के. पी. शर्मा ओली

उपप्रधानमन्त्रीः
विजयकुमार गच्छदार – भौतिक पूर्वाधार तथा यातायात
कमल थापा – परराष्ट्र र सङ्घीय मामिला तथा स्थानीय विकास
भीमवहादुर रावल – रक्षा
चन्द्रप्रकाश मैनाली – महिला, बालबालिका तथा समाजकल्याण
चित्रबहादुर के. सी. – सहकारी तथा गरिबी निवारण
टोपबहादुर रायमाझी – ऊर्जा

मन्त्रीः
विष्णुप्रसाद पौडेल – अर्थ
प्रेमबहादुर सिंह – खानेपानी तथा सरसफाई
दीपक बोहरा – श्रम तथा रोजगार र वाणिज्य
गिरिराजमणि पोखरेल – शिक्षा
अग्निप्रसाद सापकोटा – वन तथा भू(संरक्षण
शक्तिबहादुर बस्नेत – गृह
एकनाथ ढकाल – शान्ति तथा पुननिर्माण
सत्यनारायण मण्डल – युवा तथा खेलकुद
अग्नि प्रसाद खरेल – कानुन, न्याय, तथा संसदीय मामिला
सोमप्रसाद पाण्डेय – उद्योग
हरिबोल प्रसाद गजुरेल – कृषि विकास
रामकुमार सुब्बा – भूमिसुधार तथा व्यवस्था
रामजनम चौधरी – स्वास्थ्य
शेरधन राई – सूचना तथा सञ्चार
शान्ता मानवी – पशुपंक्षी विकास
रेखा शर्मा – सामान्य प्रशासन
गणेशमान पुन – आपूर्ति
उमेश कुमार यादव – सिँचाइ
आनन्दप्रसाद पोखरेल – संस्कृति, पर्यटन तथा नागरिक उड्डयन
विश्वेन्द्र पासवान – जनसङ्ख्या तथा वातावरण
शिवलाल थापा – विज्ञान तथा प्रविधि
जयन्त चन्द – वाणिज्य मन्त्री

राज्यमन्त्रीः
मेघराज नेपाली (निषाद) – उद्योग
मो. मुस्ताक आलम – स्वास्थ्य
विक्रमबहादुर थापा – भूमिसुधार तथा व्यवस्था
कुन्तीकुमारी शाही – सङ्घीय मामिला तथा स्थानीय विकास
दिनेशचन्द्र यादव – खानेपानी तथा सरसफाई
दामोदर भण्डारी – अर्थ
बलबहादुर महत – संस्कृति, पर्यटन तथा नागरिक उड्डयन
नरदेवी पुन मगर – पशु विकास
मञ्जुकुमारी चौधरी – सहरी विकास
दिपनारायण साह – शान्ति तथा पुननिर्माण

सहायकमन्त्रीः
दिनेश श्रेष्ठ – भूमिसुधार तथा व्यवस्था
रेसमबहादुर लामा (बैशाख १५, २०७३ मा विराज विष्टलाइ पदमुक्त गरी लामालाइ नियुक्त गरिएको) – सङ्घीय मामिला तथा स्थानीय विकास

(अन्तिमपटक २०७३ मंसिर २ मा अद्यावधिक गरिएको)

Saturday, March 12, 2016

दुइवटा गाई र थरिथरिका अर्थतन्त्र


अनुवाद तथा प्रस्तुतीः श्रवण उप्रेती/  किशोर दहाल
MikeHosking Breakfast  फेसबुक पेजमा अगस्ट १२, २०१५ मा यो सामाग्री पोष्ट भएको थियो । जटिल मानिने अर्थतन्त्र र त्यसका आयामहरुलाई सरल जीब गाइको माध्यमबाट बुझाउने प्रयास गरिएको छ । प्रत्येक अर्थतन्त्रलाई बुझाउन छुट्टाछुट्टै १७ वटा फोटोको प्रयोग गरिएको छ । केहीलाई यहाँ प्रस्तुत गरिएको छ ः
 

साम्यवादः
  • तपाईंसँग दुइटा गाई छन् ।
  • राज्यले दुवै गाई खोस्छ र त्यसवापत तपाईंलाई थोरै दुध दिन्छ ।
समाजवादः 
  •  तपाईंसँग दुइटा गाई छन् ।
  • एउटा गाई तपाईं आफ्नो छिमेकीलाई दिनुहुन्छ ।
फाँसीवादः 
  • तपाईंसँग दुइटा गाई छन् ।
  •  राज्यले दुबै खोस्छ र तपाईंलाई थोरै दुध बेच्छ ।
परम्परागत पूँजीवादः 
  • तपाईंसँग दुइटा गाई छन् ।
  • तपाईं एउटालाई बेचिदिनुहुन्छ र साँढे किन्नुहुन्छ । 
  • तपाईंको बगाल फैलन्छ र अर्थतन्त्र बढ्छ । तपाईं तिनलाई बेचिदिनुहुन्छ र त्यसको आम्दानी लिएर ‘रिटायर्ड’ हुनुहुन्छ ।
कर्मचारीतन्त्रः
  • तपाईंसँग दुइटा गाई छन् ।
  • राज्यले दुबै खोस्छ । एउटालाई गोली हान्छ र अर्कोलाई दुहुन्छ । र, सो दुध फालिदिन्छ ।
इण्डियन कर्पोरेसनः
  • तपाईंसँग दुइटा गाई छन् ।
  •  तपाईं त्यसलाई पूजा गर्नुहुन्छ ।
चाइनिज कर्पोरेसनः 
  • तपाईंसँग दुइटा गाई छन् ।
  • तीनलाई दुहन ३०० मानिस राख्नुभएको छ । तपाईं पूर्ण रोजगारी र उच्च उत्पादकत्वको दाबी गर्नुहुन्छ ।
  • यथार्थ अवस्थाबारे रिपोर्टिङ गर्ने पत्रकारलाई तपाईं गिरफ्तार गर्नुहुन्छ ।
अमेरिकन कर्पोरेसनः 
  • तपाईंसँग दुइटा गाई छन् ।
  • त्यसमध्ये एउटा बेच्नुहुन्छ । र, बाँकी अर्कोबाट चारवटा गाई बराबरको दुध दुहन बल गर्नुहुन्छ ।
  • पछि, एउटा कन्सल्ट्यान्ट मगाएर सो गाई मर्नुको कारण बिश्लेषण गराउनुहुन्छ ।
ब्रिटिश कर्पोरेसनः 
  • तपाईंसँग दुइटा गाई छन् ।
  • दुवै पागल छन् ।
इराकी कर्पोरेसनः 
  • सबैले सोच्छन्– तपाईंसँग धेरै गाई छन् । तपाईं आफूसँग गाई नै नभएको दाबी गर्नुहुन्छ ।
  • कसैले तपाईंलाई बिश्वास नै गर्दैन । त्यसैले तपाईं ‘धोती न टोपी’ हुने गरि बम बर्षाउँछन् । र, आफ्नो कब्जामा लिन्छन् । 
  • तपाईंसँग अहिले पनि कुनै गाई छैनन् तर तपाईंकोमा प्रजातन्त्र आएको छ ।
अष्ट्रेलियन कर्पोरेसनः
  • तपाईंसँग दुइटा गाई छन् ।
  •  व्यापार निकै राम्रो चलेको देखिन्छ ।
  •  तपाईं अफिस बन्द गर्नुहुन्छ र बियर खाएर यो खुसीको उत्सब मनाउनुहुन्छ ।
आइरिस कर्पोरेसनः
  • तपाईंसँग दुइटा गाई छन् ।
  • त्यसमध्ये एउटा घोडा हो ।
इटालियन कर्पोरेसन
  •  तपाईंसँग दुइटा गाई छन्, तर तिनीहरु कहाँ छन् तपाईंलाई थाहा छैन ।
  •  तपाईं लन्च लिने निर्णय गर्नुहुन्छ ।
फ्रेन्च कर्पोरेसनः
  • तपाईंसँग दुइटा गाई छन् ।
  • तपाईं हडतालमा जानुहुन्छ, दंगा मच्चाउनुहुन्छ र बाटो बन्द गर्नुहुन्छ । किनकि, तपाईं तीनवटा गाई चाहनुहुन्छ ।
ग्रिक कर्पोरेसनः 
  • तपाईंसँग फ्रेन्च र जर्मन बैङ्कबाट ऋण लिइएका दुइटा गाई छन् ।
  • तपाईंले दुबैलाई खानुभयो । अब, बैङ्कहरुले तपाईंसँग दुध मागिरहेका छन् । जुन माग तपाईं पूरा गर्न सक्नुहुन्न । त्यसैले तपाईंले IMF को सहयोग माग्नुभयो । 
  • IMF ले तपाईंलाई दुइवटा गाई ऋणमा दिए । ती दुइको पनि तपाईंले भोज खानुभयो । बैङकहरु र IMF कि गाई कि दुध मागिरहेका छन् । तपाईं भने कपाल काट्न निस्कनुभयो ।
स्वीस कर्पोरेसनः
  • तपाईंसँग ५००० गाई छन् ।
  • ती कुनै पनि तपाईंका होइनन् ।
  • ती राखेवापत तीनका मालिकसँग तपाईं शुल्क उठाउनुहुन्छ ।
...........................

फोटो पोष्ट भएपश्चात केही रमाइला कमेन्टहरु गरिएका छन् । कमेन्टकर्ताहरुले आफ्नै शैलीमा केही फरक अर्थतन्त्रलाई प्रस्तुत गरिएका छन् । केही कमेन्टहरु यस्ता छन्ः

  •  Alessandra Veronese डोनाल्ड ट्रम्प अर्थतन्त्रः तपाईसँग दुइवटा गाई छन् । तपाई सर्कस खोल्नुहुन्छ र करोडपति बन्नुहुन्छ ।
  •  Greg Shawउत्तर कोरियाली अर्थतन्त्रः तपाई आफूसँग दुइवटा गाई भएको बताउनुहुन्छ । सबैलाई थाहा छ कि तपाईं एउटै गाई छैन । तपाईं आफूसँग भएको दुइटा गाईले बिश्व हमला गर्ने धम्की दिनुहुन्छ ।
  •  Akm Wahiduzzaman बंगलादेशी कर्पोरेसनः तपाईंसँग दुइटा गाई छन् । एउटालाई मुस्लिम शैन्य र अर्कोलाई नास्तिक ब्लगरको आरोपमा गोली हानिन्छ ।  
  • Kemi Adekoya अफ्रिकन कर्पोरेसनः तपाईंसँग असङ्ख्य गाईहरु छन् । तर, तपाईंको उदारता र दुध दुहने साधनको कमीले अरु कसैलाई दुध दुहन दिनुहुन्छ । यसो गरिरहँदा तपाईं उनीहरुले दुध दुहने र तपाईंलाई दिने आश गर्नुहुन्छ । तर, उनीहरुले तपाईंलाई दुधबाट बञ्चित गर्छन् र कति अवस्थामा बढि गाई लिएर आफ्नो अर्थतन्त्र पोस्न तपाईंलाई नै मार्छन् । 
  • Abra Kayne इजरेलः तपाईंसँग दुइटा गाई छन् । तीनीहरु नजिकका आफन्त हुन्; एउटा मुस्लिम हो, अर्को यहुदी हो । उनीहरुलाई यसमा कुनै समस्या छैन । तर, तपाईं उनीहरुबीच पर्खाल लगाउनुहुन्छ र दुनियाँलाई हँसाउनुहुन्छ । 
  • Anne Soares ब्राजेलियन कर्पोरेसनः तपाईंसँग दुइटा गाई छन् । तर, तपाईं तिनका लागि वास्तविक मूल्यभन्दा बढि कर तिर्नुहुन्छ । 
  • Jorge Ribs मेक्सीकन अर्थतन्त्रः तपाईंसँग दुइवटा गाई छन् । एउटा छिमेकीद्वारा चोरियो । जब तपाईंले सरकारमा यो उजुरी गर्नुभयो, तिनले अर्को गाई पनि खोसीदिए ।

Thursday, March 10, 2016

जताततै नक्सलबारी

उज्ज्वल प्रसाईं

तुहिएको सपनाको कुनै गन्ध हुन्छ कि हुँदैन ? धेरैले सपाट उत्तर दिनेछन्, सपनाको कुनै गन्ध हुँदैन कसैलाई लाग्न सक्छ यो प्रश्न आफैंमा सिजोपनिक यस्तो सवालको जवाफ खोज्नु सिजोफ्रेनियाबाट ग्रस्त हुने खतरा मोल्नु हो जब मान्छे अक्कडा प्रश्नहरूको भारिले थिचिन थाल्छ, सायद त्यसै बखत सिजोफ्रेनिक बन्न थाल्छ तर, आफू बाँचेको सिंगो समय नै जब सिजोफ्रेनिक बनिदिन्छ, नचाहेरै हामी त्यसको सिकार हुन थाल्छौँ सायद विद्यमान समय जहाँ बाँचेको छु, त्यो नै उस्तो हो समयले मलाई सपनाको गन्ध सुँघ्न बाध्य तुल्याएको

सपनाको गन्ध क्लोरमफेनिकल भन्ने औषधिको जस्तो हुँदो रहेछ विस्मृतिमा पुगेको यो गन्ध ह्वास्स गन्हाउने गरी वर्तमानले मेरा वरिपरि फैल्याइदिएको त्यो टर्रो तम्तम्याइलो क्लोरमफेनिकलको गन्ध अहिले आएर नाकमा मात्रै होइन जिब्रोमा पनि अम्लजस्तो भएर बसिरहेको कि दिमागमा पनि जम्यो ? यकिन छैन तर त्यो कतै कतै अटुट मसँगै मेरा दैनन्दिनका सबै कर्मकाण्ड खुरुखुरु चलिरहेकै छन्, गन्धले ओछ्यानै पारेको होइन तर, सोच्ने ढंगमा बढ्तै असर पार्दै त्यो तीतो, अमिलो कस्तो कस्तो गन्धले गर्दा मैले दुनियाँलाई जस्तो देखिरहेको थिएँ, त्यस्तो देख्न छोडेँ भविष्यलाई जसरी आँकलन गर्दै थिएँ, त्यो पनि पूर्णतया बदलिने छाँट अहिले भने भविष्यको त्यो दृश्य अत्यन्तै धूमिल कुनै वर्षौँदेखि भग्नावशेष बनेको घरमा बाँकी रहेको एउटा मात्र फ्रे गरिएको फोटोजस्तो भएको भविष्यको अनुहार गन्धको प्रभाव यति चर्को कि चाहेर पनि त्यो फ्रेममा पत्रैपत्र भएर टाँसिएका धूलो पुछ्न सकिरहेको छैन

जब सानो थिएँ, मैले सबभन्दा बढी सेवन गरेको औषधि नै क्लोरमफेनिकल हो मेरो कलिलो रोगी काया अनेकन् ब्याक्टेरियाहरूको आक्रमणबाट घरीघरी थिलथिलो बन्थ्यो ती आक्रमणहरूबाट जोगाउन मलाई डाक्टरले सारै धेरै क्लोरमफेनिकल ख्वाए बुझ्ने हुन्जेलसम्म क्लोरमफेनिकल सिरप पिउँथें जब बिरामी पर्थेँ, त्यसैको गन्धले दिमाग कब्जा गर्न थाल्थ्यो मैले कैयौँपटक त्यही गन्धका कारण भन्भनाएर बान्ता गरेको छु मलाई क्लोरमफेनिकल प्रेसक्राइब गर्ने ती डाक्टरहरू थिए भारत पश्चिम बंगाल, नक्सलबारी बजारका

बिरामी परेपछि बा आमाले लैजाने नजिकको डाक्टरकहाँ हो नजिक भन्नु नै सात किलोमिटर परको नक्सलबारी थियो काँकरभिट्टाबाट चढेको टेम्पोभरि मलाई त्यही क्लोरमफेनिकलको गन्धले छोपिरहन्थ्यो नक्सलबारीको शाह मेडिकलको सानो च्याम्बरमा पनि त्यही गन्ध फैलिएको हुन्थ्यो च्याम्बरबाट निष्केपछि झन् चर्को हुन्थ्यो चाहे आमाले तरकारी किन्ने सब्जी मन्डी होस् वा बाले मेरा लागि गन्जी किनिदिने प्रदीप क्लोथ स्टोर, सबैतिर क्लोरमफेनिकलकै गन्ध हुन्थ्यो इलिस माछा होस् कि लालमोहन, जेमा पनि त्यही गन्ध नक्सलबारी बजारभरि त्यही गन्ध फैलिएको हुन्थ्यो   

काँकरभिट्टामा हुर्केको मलाई आज आएर महसुस हुँदै , त्यस्तो गन्ध फैलिएको नक्सलबारीे मेचीपारिको सानो बजारको नाम मात्रै होइन रहेछ त्यो शाह मेडिकलका गुप्ता डाक्टरको घर भएको ठाउँ मात्रै होइन रहेछ वा हाम्रो घरमा हरेक हप्ता भित्रिने चिनी भुजिया पाउने पसलहरू भएको ठाउँ मात्रै होइन रहेछ त्यो बरु त्यो कैयौँ किसानहरूका तुहिएका सपनाहरूको पनि नाम रहेछ मलाई लाग्छ त्यो क्लोरमफेनिकलमा ती तुहिएका सपनाहरूको गन्ध पनि मिसिएको थियो

मलाई औषधि गर्न पुर्याइएको नक्सलबारीमा, त्यो उहिल्यैको भाकपा मालेकालीन १९६७ छिन्नभिन्न भइसकेको थियो चारु मजुमदार मारिएको दशक बढी भइसकेको थियो कानु सन्यालको गतिमा सुस्तता आइसकेको थियो उनीहरूका हतियार सम्भवतः डकैतीमा प्रयोग भइरहेका थिए गरिब किसानले जोत्ने खेत पाएनन् हलो छोडेर बन्दुक समाएका उनीहरूसँग अर्को उपाय पनि केही थिएन जसरी जाने, त्यसरी नै बन्दुकको प्रयोग गर्नु उनीहरूको बाध्यता थियो पति मरेपछि आइमाईका चुरा ढुंगाले फुटालेर टुक्रा टुक्रा पारेजस्तो टुक्राहरूमा विभाजित बनिसकेको थियो नक्सलबारी मसँग नक्सलबारीको सग्लो अनुहार खिच्न सक्ने सामथ्र्य थिएन उबेला तर आज आएर लाग्छ फुंग उडेकी गरिब हिन्दु विधवाजस्ती बनेको हुँदो हो नक्सलबारी त्यसबेला कुनै आदर्शको आभा, विद्रोहको राप, वा परिवर्तनको न्यानो, त्यहाँ केही थिएन सायद त्यो ओसिलो नक्सलबारी तुहिएका सपनाहरूको थुप्रो बनेर बसेको थियो होला किसान, मजदुर, महिला, पिछडिएका समुदाय, आदिवासीका सपनाहरूको थुप्रो परिवर्तनको खास्टो ओढ्न नपाएपछि तिनै तुहिएका सपनाहरूका कारण टाइफाइडले ग्रस्त बनेको हुँदो हो ज्योति वसुले किसानलाई बाँडेको जग्गाले पनि त्यो टाइफाइड निको हुनेवाला थिएन त्यसैले होला त्यहाँ चर्को गन्ध फैलिएको सम्भवतः नन्दीग्राम सिँगुरजस्ता ठाउँहरूबाट किसान लखेटिएपछिको समयमा त्यो गन्ध अझ विषाक्त बन्यो अहिलेकी ममता बेनर्जीको घ्राण शक्ति कति , मलाई थाहा छैन

नक्सलबारी त्यही आन्दोलन हो जसबाट सन् ७० मा उडेका केही फिलिंगा झापामा खसे तीनै फिलिंगा टिपेर कमरेडहरूले झापामा आगो बाले ती सबै ब्राह्मण पुरुष थिए, पढेलेखेका जानिफकारहरू मैनाली ब्रदर्स अर्थात् चन्द्रप्रकाश उर्फ सीपी राधाकृष्ण उर्फ आरके, मोहनचन्द्र अधिकारी अरू केही नेताहरूले टिपेका थिए ती फिलिंगा रातो झन्डा बोक्ने वासु शाक्य, दंगाली समूहका नेत्र लाल अभागी, इलामका रत्नकुमार वान्तवा अहिले हामीले नेताका रूपमा चिनेका धेरै तिनै फिलिंगाले तातेका भरमा नेता भएका हुन् कमरेडहरूले बालेको आगोमा एक दर्जनको ज्यान गयो कतिको धरपकड भयो कतिले यातना भोगे कतिका आङमा त्यसबेला लागेका घाउमा आजका मितिसम्म पनि पाप्रा नजमेर थिलथिलै छन्

त्यसबेला यी सबैको सपना उही थियो सामन्ती मालिकहरूबाट खोसेर जग्गा गरिब किसानको हातमा दिने, सामन्ती राज्यसत्ताको अन्त्य गर्ने, नेपाली जनतालाई मुक्ति दिने उही विभेदरहित समाजको, उही समानताको सपना उही मानिसको पूर्ण स्वतन्त्रताको खोजी उही लोकतन्त्रको प्रगतिशील परिभाषा

कालान्तरमा सीपी मैनाली आफैं संसद्का पटके जागिरे बने अरू केही नगरे पनि, उनी आफ्नो जागिर जोगाउन समानुपातिक उम्मेदवार बनिरहनेछन् धेरै पछिसम्म राधाकृष्ण मैनाली दरो मेरुदण्ड नभएको जेली फिसजस्ता भए चारतिर चिप्लिँदै हिँड्ने राजाको खोपीदेखि माओवादीको पटांगिनीसम्म मोहनचन्द्र अधिकारी गेरु वस्त्रधारी बैरागी बने उनका समकालीनले धेरैअघि उनलाई नेल्सन मन्डेला भन्ने गर्थे मन्डेलाको देहान्त हुँदा, कुनै नेपालीले मोहनचन्द्रको खोजखबर गरेको मलाई सम्झना छैन नक्सलबारीमा जस्तै आजकल सुखानी जंगलको बतासमा पनि ती तुहिएका सपनाको गन्ध मिसिएको हुनुपर्छ तर, सीपीको चाबहिलको महलसम्म त्यो बतास पुग्दैन राधाकृष्णको जेली फिस अवतारलाई त्यो गन्धले छुँदैन उनको आफ्नै गन्ध त्यसलाई परास्त गर्न काफी मोहनचन्द्रको पवित्र चन्दन मगमगाउने गेरु वस्त्रमा त्यो गन्धको कुनै प्रभाव पर्दैन झलनाथ केपी ओलीहरू सुखानीतिर आउँदा अरबी अत्तर बेस्सरी छर्केर आउँदा हुन्

चालीस वर्ष नैराश्यको दलदलमा फँसेका कानु सन्यालले नक्सलबारी नजिकै हात्तीगिसाको झुपडीमा आत्महत्या गरे झापाका योद्धा डिगेन्द्र राजवंशी एमालेको बल्खु दरबार अघिल्तिर पासो लागे के तिनका सपनाहरूले पनि आत्महत्या नै गरेका हुन् ? इतिहासमा सपनाको निर्मम हत्या गर्ने प्रयास भएका छन् सपना आफैं पासो लाग्न जान्दैन

माओवादीहरूले तिनै तुहिएका सपनालाई पुनःजीवन दिएको ऐलान गरे हतियार बोके उनीहरूको ऐलानमा महिला सामेल भए, दलित आए, जनजाति आए, आए मधेसी तिनले सबैका सपना माझेर एकै बनाए बन्दुक भिरे, युद्धमा होमिए तीनलाई पटक पटक झापा सम्झाइयो सम्भवतः नक्सलबारी पनि सम्झाइयो माक्र्स, लेनिन, माओहरू सर्वव्यापी नै भइगए

यिनले थालेको युद्धमा हजारौँको ज्यान गयो कतिका घाउ आलै छन् कति शरीरभरि गोली बोकेर हिँडेकै छन् त्यस्तै अवस्थामा युद्ध रोकेर उनीहरू राजनीतिको मूलधारमा आए धेरै समय अल्मलिएर बिताए त्यसपछि सत्ताको चास्नीमा भुलिए नगर्नु पर्ने सम्झौता गरे पहिले काठमाडौँका सुकिला मुकिलालाई लल्कारे पछि तिनैलाई खुसी पार्ने अर्थहीन यत्न गरे बुर्जुवा रवाफको धुनमा आफैं लट्ठिए अनेकन् दबिएका प्रश्नहरू मूलधारको आकाशमा तरंगित तुल्याएका थिए तर, तीनको हल खोज्ने कसरत गरेनन् अन्ततः पार्टी फुट्यो चुनावमा नमिठो हार बेहोरे अहिले मुर्झाएका छन्

यही मौका छोपेर एकथरी मान्छे युद्धको आँधीबेहरीमा भएका यिनका गल्ती रिठ्ठो नबिराई खोज्दै छन् पुराना फाइल खोतलेर यिनलाई अन्तर्राष्ट्रिय अदालत हेगको कठघरामा उभ्याउने प्रपञ्च बुन्दै छन् यस्तो प्रपञ्च बुन्नेहरूले यिनलाई हाकाहाकी लल्कार्दै छन् उताबाट प्रत्युत्तरमा निम्छरा तर्कहरू पेस हुँदै छन् कोही भने सिँगो पार्टीको असामयिक निधनको खबर सुन्ने पर्खाइमा रमाएर बसेका छन्   

यसैबीच मैतीदेवीको तरकारी बजारमा भुइँमा पसल थापेर बसेको एक पूर्वछापामारले शरीरभरि गोलीका दाग देखाउँदै भने, 'मलाई टण्टलापुर घाममा पनि ठकठक काम छुट्छ जस्तोसुकै गर्मीमा पनि ज्याकेट लगाएर हिँड्नुपर्छ ' यी अयोग्य साबित बिरामी लडाकुको सपना फुलकोबीसँग रु. दुई पाँचमा साटिंदै छन् रोल्पाको हावामा तुहिएका सपनाको गन्ध कतिको बाक्लिएको हँ ? के लाजिम्पाट सानेपाका महलहरूसम्म अझै यी हावाका झोँक्काहरू आइपुग्दै छन् ?

ठीक यसैबेला नेपालमा सन् ९० को बाँसुरी बज्न थालेको हिन्दुवादी पार्टीको समर्थनमा सिंगै राजधानी एकजुट भएको चुनावले देखाएको पहिल्यै कमजोर राज्यका सबै अंगहरू झन् झन् कमजोर बन्दै गइरहेका छन् शिक्षा स्वास्थ्यजस्ता क्षेत्रमा ठूला खेलबाडहरू भइरहेका छन् चुरे नासिँदै गइरहेको बिस्तारै बँचेखुचेका हरिया वन सकिएलान् खोलानाला सुक्लान् मुलुक नै बिल्कुल व्यक्तिगत बहीखाता मात्र बोकेका मान्छेहरूको कब्जामा लोकतन्त्रको दुहाई दिने पार्टीहरू चुनाव जितेर सत्तामा पुगेका छन् तर पुग्न नपाउँदै तिनले आफ्नो सनातनी विभेदको दौरा-सुरुवाल लगाए भ्रष्टता लापरबाहीको चुचे टोपी भिरे  

ठीक यसैबेला सशत्र क्रान्तिको ज्वाला दन्काउने झापा जिल्ला भारतीय मठाधीश श्री श्री रविशंकरको झन्डामुनि कथित नेपाली ढाका टोपी दिवस मनाउँछ जग्गा प्लटिङ बेचबिखनको दलालीमा रमाउँछ म्यानपावर कम्पनीहरूमार्फत कमिसनको लुट मच्चाउँछ स्कुल जाने नानीहरूको झोलामा राखेर सुपारी तस्करी गर्छ छिटो पैसा कमाउने धन्दामा तस्करीको मोहताज पहिरिन लालायित मेरो झापा नक्सलबारीको जस्तै ओसिलो गन्ध यहाँ पनि व्याप्त     

ठीक यसै बेला भारतमा हिन्दुवादीहरूको जगजगी बढ्छ हिन्दुवादी दक्षिणपन्थी नेता नरेन्द्र मोदीले पब्लिक स्पिmयर कब्जा गर्दै छन् जनताको काल्पनिकीको ठूलो हिस्सा उनैले लिँदै छन् आम आदमी नामको एउटा मध्यम वर्गीय धिपधिपेले कतिको उज्यालो दिन्छ, थाहा छैन वा त्यसको उज्यालो कतिको टिकाउ भन्ने यकिन पनि कसैले गर्न सक्दैन यता आम आदमीको चर्चा चलेकै बेला उता लन्डनबाट प्रकाशित हुने नवउदारवादी पत्रिका इकोनोमिस्ट मोदीको प्रशंसामा गीत गाउँछ उनले गुजरातमा गरेका जघन्य अपराध भुल्नुपर्छ भन्ने अर्ति बाँड्छ हैदरावाद विश्वविद्यालयका प्रोफेसर हरगोपाल खुइय गर्दै भन्छन्, 'अब ग्लोबल नवउदारवादीहरूलाई मनमोहन सिँह कांग्रेसले जति गर्नु थियो गरिसके भन्ने लागेको उनीहरू एकपटक फासिस्ट नेतालाई प्रयोग गर्न चाहन्छन् ' उडिसा, छत्तिसगढ आन्द्र प्रदेशमा सीमित नक्सलवादीहरूको 'गाउँहरू कब्जा गर्दै अन्ततः दिल्ली घेर्ने' संकल्प दिनप्रतिदिन दिवास्वप्न हुँदै बरु दिल्लीले नै उनीहरूलाई घेर्दै लगिरहेको खबर व्याप्त हुँदै

ठीक यसैबेला अमेरिका हरेक नागरिकको इमेल एकाउन्टको निगरानी गरिरहेको , फोन टेप गरिरहेको शालीन राष्ट्रपति बाराक ओबामा यस्तो निगरानी बढाउनुपर्नेमा जोड दिँदै छन् गैरकानुनी निगरानीको पोल खोलिदिने एडवार्ड स्नाउडेन उनको तारो बनेका छन् भर्खरै टोरोन्टो एयरपोर्टको वाइफाईमार्फत क्यानडाले पनि आफ्ना जनतामाथि निगरानी बढाइरहेको खबर छापाहरूमा आएका छन् सन् १९९२ मा रियो डि जेनेरियोमा आयोजित अर्थ समिटमा जर्ज डब्लु बुस सिनियरले छाती फुकाएर घोषणा गरेका थिए, 'अमेरिकी जीवनशैली परिवर्तन हुँदैन ' अर्थात् अमेरिकीहरूले उपभोक्तावादलाई शिरोपर गरिरहनेछन् त्यसमा सम्झौता गर्ने छैनन् फलस्वरूप दुनियाँका लाखौँ मान्छेका मुखबाट हजारौँ केजी मकै खोसेर बायोग्यास बनाइयो लेखक आदित्य निगमले गार्जियनको एक लेख उद्धृत गर्दै भनेका थिए, 'अहिले आफ्नो मोटर निर्बाध कुदाउन चाहने ८०० मिलियन मोटरधनीहरू दुई छाक जुटाउन हम्मे पर्ने बिलियन मानिसहरूबीच सीमित अन्नमाथि प्रतिस्पर्धा ' दुनियाँका आँखाका नानी बनेका ओबामा यो प्रतिस्पर्धामा निःसन्देह मोटर धनीको पक्षमा छन्

अहिलेको संसारको परिदृश्य यस्तो भन्ने तपाईँलाई थाहा   तर पत्तो नपाएको गुह्यचाहिँ के भने यति थाहा पाइसकेपछि अब गर्ने के हो ? कसको तरिका ठीक भन्ने ? कसका तर्कलाई सही मान्ने ? कसले गरेको राजनीतिमा भरोसा गर्ने ? बजार व्यवस्था ठीक वा समाजवादी व्यवस्था ? भएका बजारहरूले असमानता बढाउँदै छन् बजार आफैं चरम संकटमा फँस्दै लाखौँ मानिसको ज्यान धरापमा पार्दै अनि समाजवादी भनिएका मुलुकमा राज्यले के गर्दै ? मुठ्ठीभरको सेवा अरूलाई हेलोहोँचो राज्य बजारको समदूरीमा भएको व्यवस्था कस्तो हुन्छ ? के त्यो सम्भव ? कि यो धर्ती अब कुनै गतिलो राजनीति विचार नजन्माउने गरी बाँझो भइसक्यो ? प्रश्नहरू यसरी अक्करिला बन्दै छन् कि उत्तर नभेटेर सिंगो समय सिजोप|mेनिक बन्दै

यो दुनियाँमा अझ पनि देब्रे ढल्केका अर्थात् वामपन्थी विचार आन्दोलनहरूले नै मानिसलाई स्वतन्त्र बनाउन सहयोग पुर्याउँछन् भन्ने विश्वास गर्नेको संख्या यथेष्ट तर, विचार आफैंमा कुनै भौतिक शक्ति हुन सक्दैन जसले आफैं परिवर्तन ल्याइदेओस् राजनीतिले विचारलाई भौतिक शक्तिमा बदल्ने हो राजनीति गर्ने मानिसहरूले हो के उचित विचारलाई परिवर्तनको भौतिक संवाहक बनाउने उचित मानिसहरू नजन्मने गरी यो धर्तीको बन्ध्याकरण भइसकेको हो ? मानिसले कसलाई पत्याउने, विचार भनिने कुनै अमूर्त चिजलाई वा त्यसलाई बोकेका मानिसहरूलाई ? कि त्यसरी विचार राजनीति अथवा विचार त्यो विचार मान्छु भन्ने मान्छेलाई छुट्याएर हेर्न मिल्दैन ? के ती एउटै हुन् ? वा तिनको छुटाछुटै अस्तित्व हुन्छ ? यदि होइनन् भने ठीक वैचारिक धरातलमा उभिएको मानिस किन उल्टो बाटो हिँड्दै ? सही सिद्धान्तबाट दीक्षित मानिस किन गलत काम गर्दै ? स्वर्गको म्याप बोकेर नर्कको बाटो नाप्दै छन् हाम्रा वामपन्थी पार्टीहरू कि तिनले बोकेको म्याप नै नर्कको हो ? यकिन छैन, यदि यिनीहरू हिँडिरहेको बाटो नर्ककै हो भने, त्यो अहिले बाँचेको नर्कभन्दा अझ खराब हुनेछ वा राम्रो ?

सिंगो समयको यस्तो सिजोफ्रेनियाले नराम्ररी गाँज्दै मान्छेलाई त्यसैले तुहिएका सपनाको गन्ध सुँघ्न बाध्य छु जताततै क्लोरमफेनिकलको गन्ध व्याप्त , नक्सलबारी जताततै फैलिएको

अत्याचारीसँग हुने लगातारको मुठभेडले भरिएको हाम्रो अनुभव

यहीँ नेर एउटा बूढो माली हाम्रो मृत्युग्रस्त सपनामा फूल आशा राखेर जान्छ
-गोरख पाण्डे           
twitter: @UPrasai 
(२०७० फाल्गुन २४ मा कान्तिपुर दैनिकमा प्रकाशित)